याद है क्या तुम्हें तुम्हारी वो नीली साड़ी | Saree Poetry – Mahi Kumar
2022-08-02
याद है क्या तुम्हें तुम्हारी वो नीली साड़ी, उस पर तुम्हारी मुस्कान समझ नहीं आता के पहले तारीफ़ किसकी करूं… उस साड़ी में तुम लगRead More →
याद है क्या तुम्हें तुम्हारी वो नीली साड़ी, उस पर तुम्हारी मुस्कान समझ नहीं आता के पहले तारीफ़ किसकी करूं… उस साड़ी में तुम लगRead More →
साड़ी बचपन का एक ख़्वाब नवयौवना की एक चाहत नवविवाहिता का श्रृंगार साड़ी एक उमंग एक सम्मान एक मर्यादा साड़ी बुनकर की उम्मीद रंगरेज़ी काRead More →
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